*भरतपुर शहर व्यापार संघ*
*व्यापारी 1 जून से खोलेगा दुकानें*
आज दिनांक 21 मई 2021 को शहर व्यापार संघ की एक मीटिंग शहर अध्यक्ष भगवान दास बंसल की अध्यक्षता में संपन्न हुई. मीटिंग में सभी ट्रेडस, व, क्षेत्रीय संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए. भरतपुर शहर व्यापार संघ ने ऐलान किया है कि, यदि 24 मई के बाद भी शहर में व्यापार व कामधंधा शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई तो,, व्यापारी वर्ग सड़कों पर उतर आयेगा. और एक जून से सभी दुकानें खोलकर कामधंधा प्रारंभ कर देगा। प्रशासन चाहे तो नियम, कायदे-कानून तय कर दे..! हम उनकी पालना करने को तैयार हैं.. या फिर व्यापारियों को भी दुकानें बंद रखने पर उसी तरह मुआवजा दिया जाय, जिस तरह फसल खराबे पर किसानों को दिया जाता है।
क्षेत्रीय व्यापार संगठनों के अध्यक्षों/मंत्रियों स्टेशन बजरिया व्यापार संघ के संजय खंडेलवाल , कोतवाली व्यापार संघ के विनोद जी बबुआ , बन्टू भाई चौबुर्जा मोरी चारबाग व्यापार संघ , प्रदीप शर्मा सुभाष पार्क व्यापार संघ, कमल , बिजलीघर व्यापार संघ, ईशांत जामा मस्जिद व्यापार संघ, जगदीश हीरा दास व्यापार संघ, दीपक गोयल मोरी चारबाग व्यापार संघ, सुनील ठठेरा व्यापार संघ, राजीव मथुरा गेट व्यापार संघ के अतिरिक्त ट्रेड यूनियन मोबाइल संघ के कालू गुप्ता, ऑटो चालक संघ चंदा पंडा पार्षद, फोटोग्राफी संघ के अशोक शर्मा, फूटवियर संघ के जगदीश, कपड़ा संघ के संजय तनुज,विपुल शर्मा कॉस्मेटिक जनरल स्टोर व्यापार संघ...... आदि सभी संघटन के पदाधिकारियों के साथ मंत्रणा के बाद यहां जारी एक बयान में भरतपुर शहर व्यापार संघ के अध्यक्ष भगवान दास बंसल ने बताया कि प्रशासन तय करे, वैसे हम व्यापार करने को तैयार हैं, व्यापार हमारा मूल मकसद है, इस समय हमें सबसे ज्यादा जरूरत हमारे आर्थिक नुकसान की भरपाई की है।
उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन यह चाहता है कि बाजार बंद रहे तो हम बाजार बंद रखने को एक स्वर में तैयार हैं बशर्ते किसानों की तर्ज पर, हमारे नुकसान की भी भरपाई की जाय! व मुक्कमल मुआवजा दिया जाय। टैक्स, चंदा, सहित हर जगह हर तरह का सहयोग हम हर जगह देते हैं! फिर भी हमें चोरों की तरह बदनाम किया जाता है । हम बहुत सहनशीलता के साथ, पिछले एक साल से ज्यादा समय से प्रशासन का सहयोग करते आ रहे हैं,! परन्तु प्रशासन ने उल्टे व्यापारी वर्ग को ही, दो धड़ों में बांट दिया है। एक धड़ा तो खूब कमाये और दूसरा धड़ा फांके खाये, यह चलने वाली बात नहीं है। इस भेदभाव के खिलाफ, हमें सड़कों पर उतरना ही पड़ेगा! फिर भले हमें चाहे जेलों में डाला जाये, या फांसी पर लटकाया जाये। वैसे भी बुरी तरह से बेरोजगारी और भूखमरी फैल रखी है और उपर से नल-बिजली आदि के मनमाने बिल भेजे जा रहे हैं। टैक्स वसूली के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। यह सब चुकाने और परिवार के भरणपोषण के लिए हमें कामधंधा तो करने दो। प्रशासन गाइडलाइंस तय करदे, हम उन्हें मानने को तैयार हैं, पर व्यापारी को भूखा-प्यासा नजरबंद न किया जाय।
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बंसल ने कहा हमारे संघर्ष में एमपी, एमएलए, पार्षद सहित सभी जनप्रतिनिधियों को साथ आना पड़ेगा। हमने वोट उनको दिये हैं, कलेक्टर, एसडीएम आदि सरकारी मुलाजिमों को नहीं। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में जिला प्रशासन से सम्पर्क कर हालात से अवगत करवाया जायेगा, यदि फिर भी सुनवाई नहीं हुई तो हमारा सड़कों पर उतरना तय है।
भगवान दास बंसल
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